Prithvi Missile: भारत की पहली बैलिस्टिक मिसाइल की पूरी जानकारी
Prithvi Missile भारत द्वारा विकसित की गई पहली स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल है। इसे DRDO (Defence Research and Development Organisation) द्वारा Integrated Guided Missile Development Programme (IGMDP) के तहत विकसित किया गया था। यह मिसाइल भारत की सामरिक क्षमता का प्रतीक है और शॉर्ट रेंज में परमाणु या पारंपरिक हथियार ले जाने में सक्षम है।
पृथ्वी मिसाइल का इतिहास
पृथ्वी मिसाइल की शुरुआत 1983 में हुई और इसका पहला सफल परीक्षण 1988 में किया गया। यह मिसाइल भारत की स्वदेशी मिसाइल निर्माण क्षमता की शुरुआत का प्रतीक है।
पृथ्वी मिसाइल के प्रकार
1. Prithvi I (SS-150)
- सेना के लिए विकसित
- रेंज: 150 किलोमीटर
- वॉरहेड: 1,000 किलोग्राम तक
- लॉन्च प्लेटफॉर्म: मोबाइल लॉन्चर
2. Prithvi II
- वायुसेना के लिए विकसित
- रेंज: 250 किलोमीटर
- वॉरहेड: 500–1000 किलोग्राम
- सटीकता: GPS आधारित इनर्शियल नेविगेशन
3. Prithvi III (Dhanush)
- नौसेना के लिए विकसित
- रेंज: 350–600 किलोमीटर
- विशेषता: शिप-लॉन्च करने योग्य
- कहीं भी तैनात करने की क्षमता
पृथ्वी मिसाइल की तकनीकी विशेषताएं
- लिक्विड फ्यूल प्रोपल्शन सिस्टम
- पारंपरिक और परमाणु दोनों प्रकार के हथियार ले जाने में सक्षम
- हाई एक्युरेसी सिस्टम (Circular Error Probability ~50m)
DRDO की भूमिका
DRDO ने पृथ्वी मिसाइल के सभी संस्करणों को स्वदेशी तकनीक से विकसित किया। यह मिसाइल भारत के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था।
भारत की सुरक्षा में महत्व
Prithvi Missile ने भारत को शॉर्ट-रेंज परमाणु हथियार प्रणाली की ताकत दी है। इसकी तैनाती Strategic Forces Command द्वारा की जाती है। यह मिसाइल दुश्मन के नजदीकी ठिकानों पर सटीक और प्रभावी हमला करने की क्षमता रखती है।
निष्कर्ष
Prithvi Missile Series भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति का पहला प्रमाण है। यह आज भी भारतीय सेना के लिए एक भरोसेमंद और शक्तिशाली हथियार बनी हुई है। आने वाले समय में इसके और उन्नत संस्करण भी देखे जा सकते हैं।
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